प्रबन्धन संरचना

इस कार्यक्रम और परियोजनाओं का प्रबन्‍धन करने के लिए गतिशील और सक्रिय प्रबंध प्रणाली स्‍थापित की गई है । प्रबन्‍धन संरचना के केन्‍द्र में मिशन निदेशालय है जो सम्‍पूर्ण कार्यक्रम का प्रबन्‍धन करता है । यह एक ओर पीआई और मॉनीटरन समिति से तथा दूसरी ओर उच्च अधिकार प्राप्‍त समिति, महानिदेशक, सीएसआईआर एवं सीएसआईआर की शासी निकाय से अंत:क्रिया करता है ।

project management
परिचालन बदलाव शुरु किए गए

मार्च, 2003 में एनएमआईटीएलआई को अनुमोदन प्रदान करते समय, सीसीईए ने सक्रिय वैश्विक सेटिंग में कार्यकरण की तात्‍कालिक आवश्‍यकता के आधार पर परिचालन बदलाव, सम्‍पूर्ण वित्‍तीय परिव्‍यय के भीतर लाने के लिए सीएसआईआर की शासी निकाय को प्राधिकृत किया था । तदनुसार, सीएसआईआर की शासी निकाय ने आवश्‍यक समझी गई योजना के परिचालन में परिचालन बदलाव शुरु किए हैं । इनमें निम्‍नांकित शामिल हैं: (i) स्‍टार्ट-अप कंपनियों को एनएमआईटीएलआई सहायता हेतु मानदंड के रूप में नवोन्‍मेषी क्षमता; (ii) चुनिंदा क्षेत्रों में ऋण चुकौती का पुन:निर्धारण; और (iii) आंत‍रायिक अवधि में वित्‍तीय सहायता । इनका संक्षिप्‍त विवरण नीचे दिया गया है:

स्टार्ट-अप कंपनियों को निमितली सहायता के मापदंड के रूप में नवोन्‍मेषी क्षमता

यदि एनएमआईटीएलआई स्वयं को केवल (जैसा कि यह वर्तमान में करता है) वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कंपनी की वित्तीय सुदृढ़ता पर विचार करने के लिए बाध्‍य करता है, तो यह उन सेट-अप्‍स को सहायता प्रदान करता है जो पहले से ही एक मजबूत वित्तीय स्थिति में होते हैं । यह स्थिति विश्‍व भर के परिदृश्य के विपरीत है और स्टार्ट-अप कंपनियों को उन नवीन विचारों से वंचित कर देगी, जिसमें बाहर की सोच और दृष्टिकोण होंगे । इसके अलावा, इन कंपनियों की जोखिम लेने की क्षमता बहुत अधिक होती है और वे प्रौद्योगिकी और व्‍यापार के क्षेत्र में नए मोर्चे प्रारंभ करने की उत्सुक होती हैं । एनएमआईटीएलआई कार्यक्रम के पोषित उद्देश्यों के मद्देनजर इस मामले पर उदार दृष्टिकोण रखते हुए, शासी निकाय (जीबी), सीएसआईआर ने ऐसी कंपनियों को सहायता देने का निर्णय लिया है जिनकी नवोन्‍मेष क्षमता अधिक है, जो एनएमआईटीएलआई निधियों के 25% तक का उपयोग करती हैं । ऐसी कंपनियों को संरक्षण देने के लिए, मौजूदा मॉनीटरन तंत्र के अलावा, एनएमआईटीएलआई, आईसीआईसीआई जैसी वित्तीय संस्था और नियमित मार्गदर्शन के लिए एक या दो तकनीकी विशेषज्ञ को शामिल करेगा ।

2. चुनिंदा क्षेत्रों में ऋण चुकौती का पुनर्निर्धारण

एनएमआईटीएलआई के तहत वित्तीय सहायता सार्वजनिक क्षेत्र में संस्थागत भागीदारों को अनुदान सहायता के रूप में और निजी क्षेत्र के औद्योगिक भागीदारों को 3% ब्याज सहित सुलभ ऋण के रूप में है । ऋण घटक की चुकौती के साथ-साथ उद्योग भागीदारों द्वारा ब्याज 10 वार्षिक किस्‍तों में होता है जो परियोजना के पूरा होने के छह माह के भीतर या ऋण की अंतिम किस्त जारी होने के 18 माह के भीतर, जो पहले हो, शुरू होता है । इस प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है जहां ऋण चुकौती देय हो गई है ।

गत कुछ वर्षों से एनएमआईटीएलआई योजना का संचालन करते समय, अपनाई गई इस प्रक्रिया में कुछ कठिनाइयों का अनुभव किया गया है । ये इस प्रकार हैं:

  1. परियोजना की प्रगति पर निर्भर करते हुए, यदि प्रौद्योगिकी उत्पाद अवधारणा को ठीक करने/मान्य करने के लिए अतिरिक्त कार्य किए जाने की आवश्यकता है, तो मॉनीटरन समिति की सिफारिशों के आधार पर परियोजना को विस्तार प्रदान किया जाता है । ऐसे मामलों में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जहां औद्योगिक साझेदार को ऋण की किस्तों का भुगतान करना पड़ता है, जबकि परियोजना अभी भी चल रही है । इसे ठीक करने की आवश्‍यकता है, और ऐसा प्रावधान शुरू करने की आवश्‍यकता है ताकि परियोजना (परियोजनाओं) के पूरा होने के बाद ही ऋण चुकौती प्रारंभ हो ।
  2. इस योजना में कुछ परियोजनाएँ ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं । परियोजनाएं आमतौर पर या तो ‘प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट’ चरण में या प्रि-क्लिनिकल अनुसंधान के चरण में शुरू होती हैं । उपर्युक्‍त परियोजनाओं से प्राप्त लीड्स एक व्यावसायिक उत्पाद बनने से पहले अनुप्रयोग और विनियामक प्रक्रिया (मानव विषयों में चरण- I, II और III क्लिनिकल परीक्षणों) से अनिवार्य रूप से गुजरती है । वर्तमान स्थिति में, प्रूफ ऑव कान्‍सेप्‍ट/प्रि-क्लिनिकल स्तर पर परियोजनाओं के लिए उद्योग को दिया गया ऋण उस समय वापस करना होगा जब उद्योग इस सूत्रण पर नैदानिक परीक्षण कर रहा होता है । इस प्रकार, उद्योग को दो मोर्चों पर अर्थात् क्लिनिकल परीक्षणों के लिए और ऋण चुकौती के लिए निवेश करने की आवश्‍यकता है। कई बार, एनएमआईटीएलआई इन परियोजनाओं को क्लिनिकल परीक्षण (चरण- II परियोजना) के संचालन के लिए भी वित्‍त पोषण करता है । यह ऐसी स्थिति बनाता है जहां एक ओर उद्योग क्लिनिकल परीक्षणों के लिए निधियां प्राप्त कर रहा है और दूसरी ओर पिछले ऋण की किस्त वापस कर रहा है ।
  3. उपर्युक्त विसंगतियों को दूर करने और उद्योग को उनके उत्पाद विकास के प्रयासों में सहायता करने के लिए, शासी निकाय ने उद्योग से ऋण चुकौती को परियोजना के 6 महीने पूरे होने के बाद और ड्रग्स एवं फार्मास्युटिकल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं के मामलों में, नैदानिक परीक्षणों के पूरा होने के 6 महीने के बाद चुकौती को प्रभावी करने का निर्णय लिया ।
3. आंतरायिक अवधि में वित्तीय सहायता

जो परियोजनाएँ ‘कॉन्‍सेप्‍ट ऑव प्रूफ’ के चरण से अगले चरण तक चलती हैं, उन्हें एक नई परियोजना के विकास की आवश्यकता होती है । आमतौर पर ऐसी परियोजनाओं का विकास और उनके अनुमोदन में काफी समय लगता है । आंतरायिक अवधि के दौरान वांछित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बनाए रखने के लिए कोई प्रावधान नहीं था । अत: वांछित आरएंडडी गतिविधियों की गति बनाए रखने और निरंतरता प्रदान करने के लिए, सीएसआईआर ने उन परियोजनाओं हेतु आंतरायिक अवधि में वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया, जिन्हें एक चरण से दूसरे चरण में जाने की सिफारिश की गई थी ।

निमितली का कार्यान्वयन
परियोजनाओं के प्रकार

उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, निमितली ‘पुश’ और ‘पुल’ दोनों प्रकार की परियोजनाओं को विकसित करता है, जिन्हें उचित रूप से निम्‍नांकित नाम दिए गए हैं (i) राष्ट्रीय रूप से विकसित परियोजनाएं (एनईपी); और (ii) उद्योग जनित परियोजनाएं (आईओपी) । परियोजनाओं का चयन और विकास विशेषज्ञ हस्तक्षेप के माध्यम से फ़िल्टरिंग के कई चरणों सहित एक कठोर प्रक्रिया के बाद किया जाता है । देश के श्रेष्‍ठ प्रतिभाओं को गहन परामर्श और पणधारियों के साथ चर्चा करके केंद्रित परियोजनाओं को विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इस प्रकार विकसित की गई परियोजनाओं पर विशेष रूप से गठित उच्चाधिकार प्राप्‍त समिति (एचपीसी) द्वारा विचार और समीक्षा की जाती है, जिसमें वित्तीय संस्थानों सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। एचपीसी की सिफारिश (सिफारिशों) पर आईआर की शासी निकाय द्वारा आवश्यक अनुमोदन या परियोजना के अन्यथा के लिए विचार किया जाता है ।

राष्ट्रीय स्तर पर विकसित परियोजनाओं (एनईपी ) और उद्योग जनित परियोजनाओं (आईओपी ) हेतु फ्लो डायग्राम नीचे दिए गए हैं:

कड़ी चयन प्रक्रिया

Stringent-Selection-Process
कठोर-चयन-प्रक्रिया

राष्ट्रीय रूप से विकसित परियोजनाओं (एनईपी) और उद्योग जनित परियोजनाओं (आईओपी) दोनों के लिए चरण-वार प्रक्रिया संक्षिप्त रूप में संलग्‍नक-1 में दी गई है ।