निमितली की स्थिति

निमितली की स्थिति

निमितली की स्थिति

परियोजनाओं की स्थिति नीचे चित्र में दर्शाई गई है। इस कार्यक्रम का निरंतर प्रयास है कि परियोजनाओं को सबसे ऊपर वाले चतुर्भुज में स्थान दिया जाए जहां प्रौद्योगिकी और बाजार की जानकारी कम हो । परिणामस्‍वरूप, परियोजनाओं से जुड़े जोखिम और पुरस्कार बहुत अधिक हैं । इस प्रकार एनएमआईटीएलआई के लिए अपनाई गई रणनीति प्रतिकूल जोखिम-निवेश प्रोफ़ाइल प्राप्त करने के लिए थी, अर्थात कम निवेश-उच्च जोखिम वाले प्रौद्योगिकी क्षेत्र में (वैश्विक नेतृत्व क्षमता सहित) निवेश बढ़ने से विकास होता है और परियोजनाएं जोखिमों में कमी के साथ नवोन्‍मेष वक्र पर आगे बढ़ती हैं ।.

Positioning-of-NMITLI-Projects
 Figure-2: Positioning of NMITLI Projects

मॉनीटरिंग और समीक्षा

परियोजनाओं की बारीकी से मॉनीटरिंग और समीक्षा के लिए, दो स्तरीय प्रणाली अपनाई जाती है जो उद्देश्यों और प्रदेयों की प्राप्ति सुनिश्चित करती है । प्रथम स्तर पर, एक आंतरिक विषय-निर्वाचन समिति होती है जिसमें प्रिंसीपल इन्‍वेस्टिगेटर्स (पीआईएस) शामिल होते हैं, जिनकी 3 माह में एक बार बैठक होती है, वे मॉनीटरन करते हैं और हासिल किए जाने वाले अपने स्‍वयं के आवधिक लक्ष्य निर्धारित करते हैं । द्वितीय स्तर पर, एक बाह्य स्वतंत्र मॉनीटरन समिति होती है जिसमें मान्यता प्राप्त पीयर्स छह माह में एक बार परियोजना की समीक्षा करते हैं और परियोजना को अपने अंतिम उद्देश्य प्राप्‍त करने के लिए उसका मार्गदर्शन करते हैं । उद्देश्यों के अनुरूप परियोजना की प्रगति की समीक्षा करने के अतिरिक्‍त, बाह्य स्‍वतंत्र मॉनीटरिंग समिति को निम्‍नांकित की सिफारिश करने की जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं: (i) परियोजना या उप घटक को पहले बंद करना या संशोधन करना; (ii) जहां भी आवश्यक हो, अतिरिक्त संस्थागत/औद्योगिक भागीदारों को शामिल करना; और (iii) किसी भी/या सभी कार्यान्वयन भागीदारों के लिए निधियन सहायता को संशोधित करना ।

निमितली की गतिविधियों का विस्तार

जैसाकि भारत आरएंडडी गतिविधियों और नवोन्‍मेष निर्देशित के विकास के नए युग में प्रवेश कर रहा है, नए दृष्टिकोण जो नवोन्‍मेष और भावी विकास को बढ़ावा दे, निमितली के तहत प्रयोग करने की आवश्यकता है । तदनुसार, नवोन्‍मेष हेतु अनुसंधान और विकास करने के नए तरीकों का प्रयोग करने के लिए क्षैतिज और लंबवत दोनों तरह से निमितली कार्यक्रम का विस्तार करने का प्रस्ताव है । इन नए दृष्टिकोणों का नीचे उल्‍लेख किया गया है:

1. उद्योग के साथ निधियन (50:50 पहल)

कई भारतीय कंपनियाँ हैं जो आर्थिक रूप से बहुत अच्छा कर रही हैं लेकिन उनके पास अपनी गतिविधियों के अनुसार प्रौद्योगिकियों/उत्पादों के विकास हेतु केंद्रित नेटवर्क परियोजनाओं को विकसित करने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता और बौद्धिक संसाधन नहीं हैं । उनके प्रयासों के लिए उपयुक्त आर एंड डी संस्थानों से पूरकता और मान्यता प्राप्त पीयर्स से मार्गदर्शन और नई प्रौद्योगिकियों/उत्पादों का विकास करने और वाणिज्‍यीकरण की आवश्यकता है । अत:, एनएमआईटीएलआई एक विशिष्ट योजना के माध्यम से उन कंपनियों के उत्पाद/प्रौद्योगिकी विकास में उन कंपनियों के लिए नेटवर्क परियोजनाओं को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने और ऐसी कंपनियों की सहायता करने के लिए अपने अनुभवात्मक आधार का लाभ उठाने का प्रस्ताव करता है, जिन्हें 'एनएमआईटीएलआई 50:50 पहल' नाम दिए जाने का प्रस्‍ताव है । परियोजनाओं को अन्य एनएमआईटीएलआई परियोजनाओं के समान कड़ाई से विकसित और कार्यान्वित किया जाएगा ।

यह पहल भारत में विनिर्माण आधार रखने वाली सभी भारतीय या विदेशी कंपनियों पर लागू होगी । इसे एनएमआईटीएलआई से अनुदान के रूप में 50% वित्तीय सहायता प्रदान करने की परिकल्पना की गई है और शेष 50% परियोजना लागत प्रौद्योगिकी/उत्पाद के विकास और वाणिज्‍यीकरण के लिए कंपनी से आएगी। प्रौद्योगिकी/उत्पाद के सफल वाणिज्‍यीकरण पर, कंपनी सीएसआईआर को रॉयल्टी का भुगतान करेगी ।

2. वेंचर कैपिटल फंड्स से सह-वित्तपोषण

संगठन के भीतर डोमेन ज्ञान की कमी के कारण कई वेंचर कैपिटल्‍स दायरे और जोखिम लेने में सीमित होते हैं । इसलिए वेंचर कैपिटल, एनएमआईटीएलआई में रुचि रखते हैं, जिनके पास संयुक्त रूप से वित्त परियोजनाओं के लिए मजबूत डोमेन ज्ञान आधार है । एनएमआईटीएलआई द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं के बाद ऐसी परियोजनाओं की पहचान की जाएगी और उनका विकास किया जाएगा। फंडिंग पूर्व-निर्धारित अनुपात के साथ संयुक्त होगा, लेकिन एनएमआईटीएलआई का 50% से अधिक योगदान नहीं होगा । इन परियोजनाओं का मॉनीटरन एनएमआईटीएलआई मॉनीटरन तंत्र के अनुसार विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम द्वारा किया जाएगा। प्रस्तावित वित्‍तपोषण में वेंचर फंडिंग मानदंडों का पालन किया जाएगा । परियोजनाओं की सफलताओं और विफलताओं को समान आधार पर साझा किया जाएगा । यह पहल वेंचर कैपिटल फंड्स को जोखिम भरे आर एंड डी क्षेत्रों में उद्यम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी ।

3. विज्ञान और प्रौद्योगिकी और आर्थिक मंत्रालयों के अन्य विभागों के साथ परियोजनाओं का संयुक्त विकास और समर्थन

कई सरकारी विभाग विशेष रूप से आर्थिक मंत्रालय अपनी प्रासंगिकता के क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास गतिविधियों में लगे हुए हैं । अक्सर इन गतिविधियों में अन्य वैज्ञानिक विभागों के साथ ओवरलैप की काफी संभावना होती है। तथापि, इन विभागों की विशेषज्ञता, अत्याधुनिक क्षेत्रों में बहु-विषयी परियोजनाओं को चलाने के लिए सीमित होती है, जिनमें बौद्धिक और अवसंरचनात्मक इनपुट्स के व्यापक स्पेक्ट्रम की आवश्यकता होती है । ऐसे बहु-विषयी क्षेत्रों को उच्च गुणवत्ता वाले प्रकाशनों के अलावा आईपीआर, प्रौद्योगिकियों और उत्पादों को सृजित करने के लिए सभी संबंधित सरकारी विभागों से विशेषज्ञता, इनपुट और ठोस प्रयासों की आवश्यकता है । इसलिए, दसवीं पंचवर्षीय योजना में अंतर-विभागीय परियोजनाओं को सृजित करने के लिए एनएमआईटीएलआई निधियों के हिस्से का उपयोग करने का प्रस्ताव है । अत्‍याधुनिक क्षेत्रों में बौद्धिक पूंजी, प्रौद्योगिकी और उत्पाद सृजित के अलावा प्रस्तावित योजना आरएंडडी क्षेत्र में सरकार के विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय बनाने के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी ।

4. दीर्घकालिक प्रयासों के लिए चयनित क्षेत्रों में एनएमआईटीएलआई इनोवेशन सेंटर्स की स्थापना

कई क्षेत्रों में, देश के विभिन्न संस्थानों में सीमित विशेषज्ञता है । ऐसी विस्‍तृत विशेषज्ञता से उन क्षेत्रों में कोई सार्थक नवोन्‍मेष नहीं हुआ है । यहां तक कि एनएमआईटीएलआई की नेटवर्किंग भी ऐसे मामलों में बहुत प्रभावी नहीं होगी क्योंकि इन क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और सुविधाओं के सृजन की आवश्यकता होगी। इसलिए, इन क्षेत्रों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकियों और उत्पादों, आईपीआर तथा उच्च गुणवत्ता वाले प्रकाशनों का सृजन करने के लिए बौद्धिक अवरोध की सीमा को पार करने के लिए अपेक्षित मानव संसाधन के साथ-साथ बुनियादी ढांचे सहित एक स्‍थान पर असेम्‍बल्‍ड दीर्घकालिक समर्थन की आवश्यकता है । इस प्रकार कुछ चुनिंदा क्षेत्रों उदाहरण के लिए फोटोवोल्टिक, ईंधन सेल्‍स, व्‍हाइट एलईडी, औद्योगिक एंजाइम, मेडिकल इम्‍प्‍लांट्स, टीकाकरण विकास, बीज विकास आदि में निरंतर प्रयासों के लिए पीपीपी मोड में ‘एनएमएईटीएलएई इनोवेशन सेंटर्स’ स्थापित करने का प्रस्ताव है ।

इन केंद्रों की स्‍थापना अभिज्ञात संस्थान या स्वतंत्र रूप से की जाएगी । ये केंद्र केवल अभिनिर्धारित क्षेत्र में ही काम करेंगे । सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए, इस गतिविधि में लगे वैज्ञानिकों को वेतन प्लस मिलेगा, जहां वेतन सरकार से आता है और प्लस औद्योगिक भागीदारों से आता है। जैसा कि ईएफसी द्वारा सुझाया गया है, ऐसे केंद्र बनाए जाएंगे जहाँ इनकी अत्यंत आवश्यकता होगी ।

ऐसे प्रत्येक केंद्र की स्थापना के लिए वित्तीय निहितार्थ तैयार किया जाएगा और जीबी, सीएसआईआर के समक्ष प्रस्‍तुत किया जाएगा ।

5. पोस्ट निमितली परियोजनाओं को सहायता प्रदान करना

उत्कृष्ट अनुसंधान एवं विकास और विकासों के बावजूद, प्रयोगशाला में विकसित प्रौद्योगिकियां और उत्पाद 'लास्‍ट माइल एप्रौच' की कमी के कारण बाजार तक नहीं पहुंचते पाते हैं । कंपनियों को प्रौद्योगिकियों/उत्पादों को और अधिक विकसित करने और इन्‍हें पैकेज करने तथा इनके वाणिज्यिकृत के लिए सीएसआईआर के सहयोग की आवश्‍यकता होती है। ‘पोस्ट-एनएमआईटीएलआई’ की अवधारणा को पूर्व-वाणिज्‍यीकरण से संबंधित गतिविधियों जैसे स्केल-अप, पायलट प्लांट्स, फील्ड ट्रायल, उत्पादों के मार्केट सीडिंग, बाजार सर्वेक्षण आदि को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य को पूरा करने का प्रस्ताव किया जा रहा है। उद्योग के मामले में प्रस्‍तावित सहायता, सुलभ ऋण के रूप में होगी । यहां तक कि इन पोस्ट-एनएमआईटीएलआई परियोजनाओं की भी उसी तर्ज पर मॉनीटरिंग की जाएगी, जैसाकि एनएमआईटीएलआई के पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों वाली परियोजनाओं की जाती है ।

6. पोर्टफोलियो निर्माण के लिए प्रासंगिक ज्ञान/आईपी का प्रारंभिक चरण पर अधिग्रहण

बाजार के लिए नवोन्‍मेष तथा विचार श्रृंखला में बाह्य विचारों/लीड्स/आईपी अधिग्रहण को अधिक महत्व दिया गया है । बड़ी संख्या में बिना लाइसेंस के आईपी की उपलब्धता (वैश्विक रूप से कई प्रयोगशालाओं में विकसित की जा रही है) इस दृष्टिकोण को उत्साह प्रदान कर रही है । विश्‍व के विभिन्न हिस्सों में उपलब्ध रचनात्मकता की विविधता का लाभ उठाने के लिए प्रयास कर रहे हैं और दुनिया भर के कई देश वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए नए उत्पादों/प्रक्रियाओं को लाने के लिए अपने स्वयं के विकास के साथ इनको एकीकृत कर रहे हैं । चूंकि एनएमआईटीएलआई का उद्देश्य भारतीय उद्योग को प्रौद्योगिकीय नेतृत्‍व प्रदान करना है, इसलिए एनएमआईटीएलआई को अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ऐसी पद्धतियों को अपनाना अनिवार्य हो जाता है। जैसा कि ईएफसी द्वारा संस्‍तुति की गई है, इस तरह के अधिग्रहण एक पोर्टफोलियो बनाने के दृष्टिकोण से सावधानीपूर्वक चुने हुए क्षेत्रों तक सीमित होंगे जहां एनएमआईटीएलआई परियोजनाएं चल रही हैं । आईपी अधिग्रहण करने से पहले, आवश्यक यथोचित परिश्रम किया जाएगा और अनुमोदन के लिए प्रस्ताव को सक्षम प्राधिकारी के पास रखा जाएगा ।

7. सीमाओं को पार करना

यह लगातार महसूस किया जा रहा है कि महत्‍वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नेतृत्व हासिल करने के लिए, आंतरिक विशेषज्ञता और क्षमताओं पर पूरी तरह से भरोसा करना पर्याप्त नहीं हो सकता है । वैश्विक नेतृत्व के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता शामिल कर कार्यक्रम को व्यापक बनाने में मदद मिलेगी । अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञता निम्‍नांकित रूप में हो सकती है: (i) परियोजना के विकास और कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की विशेषज्ञ सलाह; (ii) वैश्विक स्तर पर उत्पाद/प्रौद्योगिकी विकास और वाणिज्‍यीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को शामिल करना; और (iii) विश्‍व में अनुसंधान संस्थानों और/या सीआरओ को शामिल करना जहां भारतीय विशेषज्ञता को बाह्य सहायक की आवश्यकता है । इस प्रकार, एनएमआईटीएलआई वैश्विक स्तर पर जहां भी उपलब्ध है, विशेषज्ञता प्राप्त करने या आउटसोर्स करने का प्रयास करता है । इस प्रस्ताव में अन्‍य बातों के साथ-साथ भारतीय संस्थानों की शर्त में छूट देना शामिल किया जाएगा और कंपनियां केवल एनएमआईटीएलआई में भागीदार हो सकती हैं तथा साथ ही विदेशों से विशेषज्ञों और विशेषज्ञता लेने के लिए विदेशी मुद्रा में निधि जारी कर सकती हैं । जैसा कि ईएफसी द्वारा सिफारिश की गई है, इस प्रावधान का उपयोग चुनिंदा तरीके से किया जाएगा ।

प्रस्ताव को लागू करते समय, जीएफआर प्रावधानों का संभव सीमा तक और सहज अनुपालन किया जाएगा। जहां भी परिवर्तन की आवश्यकता है, शासी निकाय, सीएसआईआर का अनुमोदन प्राप्‍त किया जाएगा ।

संलग्‍नक-1

निमितली के तहत राष्ट्रीय रूप से विकसित परियोजनाओं (एनईपी) का विकास करने के लिए चरण-वार प्रक्रिया

I. राष्ट्रीय परामर्श
  1. संभावित महत्‍वपूर्ण विचारों की पहचान के लिए व्यापक प्रसार और व्यापक रेंज के राष्ट्रीय परामर्श किए जाते हैं । परामर्श आमतौर पर महानिदेशक, सीएसआईआर की ओर से पत्रों के माध्यम से सभी क्षेत्रों के प्रख्यात व्यक्तियों से किया जाता है ।
  2. ऐसे प्राप्त सुझावों को एक आंकड़ाधार में संकलित किया जाता है ।
II. सुझावों/विचारों का चयन

दो स्तरीय तंत्र निम्‍नांकित है:

  1. विभिन्न विषयों पर विस्तृत प्रदर्शन के साथ सरकारी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित विशेषज्ञों की एक स्क्रीनिंग कमेटी जिसमें एनएमआईटीएलआई उद्देश्यों के अनुरूप उनके सुझावों/विचारों को सूचीबद्ध किया गया है;
  2. अनुवीक्षण समिति की सिफारिश महानिदेशक, सीएसआईआर को उनके विचार, समीक्षा और पुष्टि के लिए प्रस्‍तुत की गई हैं; तथा
  3. तत्‍पश्‍चात लघु सूचीबद्ध सुझावों/विचारों को विभिन्न क्षेत्रों उदाहरणार्थ कृषि, जैवप्रौद्योगिकी, रसायन, औषधि और फार्मास्यूटिकल्स, ऊर्जा, सामग्री, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी आदि में वर्गीकृत किया जाता है ।
  4. महानिदेशक, सीएसआईआर द्वारा अलग-अलग विशेषज्ञ समूहों का गठन किया जाता है ताकि उन कुछ विचारों का चयन करने के लिए लघु सूचीबद्ध सुझावों/विचारों पर विचार किया जा सके जो भारत को लाभ प्रदान कर सकते हैं । प्रत्‍येक विशेषज्ञ समूह में सम्‍बद्ध क्षेत्रों के 4-5 विशेषज्ञ होते हैं;
  5. तत्‍पश्‍चात चयनित सुझावों/विचारों को महानिदेशक, सीएसआईआर को उनके विचार, समीक्षा और अनुमोदन हेतु प्रस्‍तुत किए जाते हैं; तथा
  6. उसके बाद चयनित विचार से सभी योगदानकर्ताओं को अवगत कराया जाता है ।

इसके अतिरिक्‍त, सीएसआईआर उद्योग और शोधकर्ताओं के साथ बातचीत के माध्यम से परियोजना के विचारों के लिए सक्रिय रूप से स्काउट करता है । यह संभावित परियोजना विचारों को उत्प्रेरित करने के लिए विशिष्ट क्षेत्रों में शोधकर्ताओं के साथ संपर्क बैठकें आयोजित करके किया जाता है । चयनित विचारों पर विचारोत्‍तेजक बैठक में चर्चा की जाती है और इन अवधारणाओं को महानिदेशक, सीएसआईआर के समक्ष उनके विचार और अनुमोदन के लिए प्रस्‍तुत किया जाता है । इसके बाद इन अवधारणाओं को अनुवर्ती चरणों के बाद परियोजनाओं में विकसित किया जाता है ।

III. परियोजना प्रस्ताव तैयार करना
  1. प्रत्येक चयनित विचार के लिए, एक विशिष्‍ट विशेषज्ञ समूह (चैंपियंस समूह) को एक परियोजना में चयनित विचार को विकसित करने का कार्य सौंपा जाता है । समूह में संबंधित क्षेत्र के तीन से चार विशेषज्ञ होते हैं, जिनमें से कम से कम एक उद्योग से होता है, जो परियोजना को औद्योगिक दृष्टिकोण प्रदान करता है । चैंपियंस समूह को चयनित क्षेत्र के भीतर महत्‍वपूर्ण खंड, इसे एक परियोजना में विकसित करने, (सर्वोत्तम) भागीदारों, परियोजना समय सीमा और बजट अनुमान आदि का चयन करने पर फैसला करने के लिए मुक्‍त रखा जाता है ।
  2. परियोजना को विकसित करने की दिशा में, चैंपियंस समूह, आपस में आंतरिक बैठकें करने के अलावा, अकादमियों, संस्थानों और उद्योग के क्षेत्र विशिष्ट के शोधकर्ताओं के साथ कम से कम एक बैठक करते हैं ।

यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि एनएमएईटीएलएई परियोजनाओं की एनईपी श्रेणी में भागीदारी आवेदन से नहीं, बल्कि आमंत्रण से होती है। इसके अतिरिक्‍त, किसी क्षेत्र का सुझाव देने वाले व्यक्ति अनुसंधान परियोजना का हिस्सा हो भी सकते हैं और नहीं भी ।

IV. औद्योगिक भागीदारों को शामिल करना

उद्योग भागीदारों को सूचीबद्ध करने के लिए अन्‍यों के साथ-साथ कुछ दृष्टिकोण निम्‍नांकित हैं:

  1. परियोजनाओं को विकसित करने के समय विचारोत्‍तेजक बैठक के लिए औद्योगिक भागीदारों को आमंत्रित किया जाता है;
  2. जहां विचारोत्‍तेजक बैठक में उद्योग की भागीदारी न्यूनतम या शून्य होती है, सीएसआईआर विशेष रूप से उस उद्योग क्षेत्र की फर्मों को उनके हित मांग करने के लिए पत्र भेजता है;
  3. सीएसआईआर में पहले टीएनबीडी और अब मिशन निदेशालय स्वतंत्र रूप से संबंधित उद्योगों के साथ बातचीत करता है और परियोजना में उनकी भागीदारी के लिए अनुरोध करता है; तथा
  4. इस कार्यक्रम में भाग लेने में रुचि दिखाने वाली फर्मों को परियोजनाओं में सूचीबद्ध किया गया है।
V. अनुमोदन
  1. विकसित की गई अंतिम परियोजना एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के विचारार्थ प्रस्तुत की जाती है, जिसका गठन महानिदेशक, सीएसआईआर द्वारा किया गया है। एचपीसी को एक निर्णय पर पहुंचने की सुविधा देने के लिए, चैंपियंस को एचपीसी में प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया जाता है; तथा
  2. तत्‍पश्‍चात एचपीसी की टिप्पणियों/सिफारिशों के साथ-साथ वित्‍तपोषण पहलू सहित परियोजना प्रस्ताव डीजी, सीएसआईआर/जीबी (एसएफसी)/ईएफसी, जैसा उपयुक्त हो, के अंतिम विचार और अनुमोदन के लिए प्रस्‍तुत किया जाता है ।
VI. निधियों का वितरण

भागीदारों के बीच एमओयू/कानूनी करार किया जाता है और फिर परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए निधियां जारी की जाती हैं ।

एनएमआईटीएलआई के तहत उद्योग जनित परियोजनाओं (आईओपी) का विकास करने के लिए चरण-वार प्रक्रिया

I. संकल्‍पनात्‍मक विचारों/प्रस्तावों का समाधान
  1. इस योजना के तहत प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रेस विज्ञापन के माध्यम से भारतीय उद्योग से संकल्‍पनात्‍मक प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं; तथा
  2. इस योजना के तहत समर्थन के लिए संकल्‍पनात्‍मक विचारों/प्रस्तावों को आमंत्रित करने के लिए सीएसआईआर की ओर से भारतीय उद्योगों को बड़ी संख्या में पत्र भेजे जाते हैं ।
II. संकल्‍पनात्‍मक प्रस्तावों का चयन
  1. निर्दिष्ट समय के भीतर प्राप्त संकल्‍पनात्‍मक विचारों/प्रस्तावों का संकलन करना; तथा
  2. विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की समिति (डीजी, सीएसआईआर द्वारा गठित) द्वारा एनएमएईटीएलएई के उद्देश्यों के लिए उनके संकल्पनात्‍मक विचारों/प्रस्तावों का प्रथम दृष्‍टया मूल्यांकन करना।
  3. प्रख्यात तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञों की समिति (न्यूनतम 3 विशेषज्ञों) द्वारा लघु सूचीबद्ध संकल्‍पनात्‍मक विचारों/प्रस्तावों का 1 से 10 स्‍केल मूल्‍यांकन आगे विचार और जांच करने के लिए नियत किया गया; तथा
  4. प्रत्येक विस्तृत क्षेत्र में 5 की न्यूनतम रेटिंग सहित औसत रेटिंग के आधार पर टॉप रेटेड एक या दो विचारों का चयन ।
III. परियोजनाओं में संकल्‍पनात्‍मक विचारों का विकास

राष्ट्रीय विशेषज्ञों और संबंधित उद्योग भागीदार के मार्गदर्शन से परियोजना प्रस्ताव में चयनित विचार/संकल्‍पनात्‍मक प्रस्ताव का विकास करना । सीएसआईआर उद्योग को प्रस्ताव तैयार करने में सहायता प्रदान करने के लिए इन विशेषज्ञों की पहचान कर इन्‍हें उपलब्‍ध कराता है ।

IV. अनुमोदन
  1. विकसित अंतिम परियोजना प्रस्ताव विचार और सिफारिश के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति को प्रस्तुत किया जाता है; तथा
  2. तत्‍पश्‍चात एचपीसी की सिफारिशों सहित परियोजना का प्रस्ताव डीजी, सीएसआईआर/एसएफसी(जीबी)/ईएफसी, जो उपयुक्त हो, को अंतिम विचार और अनुमोदन के लिए प्रस्‍तुत किया जाता है ।
V. निधियों का वितरण

भागीदारों से करार किया जाता है और तत्‍पश्‍चात परियोजना के कार्यान्वयन हेतु भागीदारों को निधि जारी की जाती है ।