FAQ
BioSuite अठारह अनुसंधान संस्थानों और तीन उद्योगों, एक साथ लाया गया, व्यापक पोर्टेबल और बहुमुखी सॉफ्टवेयर पैकेज का नामकरण विकसित करने के लिए 'BioSuite'। टीसीएस के नेतृत्व में टीम सॉफ्टवेयर है, जो विविध जीन विश्लेषण से तुलनात्मक जीनोमिक्स, अनुरूपता मॉडलिंग और आणविक दृश्य एवं औषधि डिजाइन करने के लिए जोड़-तोड़ करने के लिए मार्ग मॉडलिंग से लेकर bioanalysis से बाहर ले जाने के लिए एक बहुउद्देशीय उपकरण के रूप में काम करेगा विकसित की है। सॉफ्टवेयर कई अनूठी विशेषताएं है, जो इसी तरह के अन्य संकुल बाजार में उपलब्ध में मौजूद नहीं हैं। BioSuite 114 उप मॉड्यूल और 243 एल्गोरिदम से जुड़े आठ मॉड्यूल शामिल हैं। SofComp NMITLI हकदार परियोजना, "लागत प्रभावी सरल कार्यालय कंप्यूटिंग (SofComp) मंच पीसी को बदलने के लिए" लिनक्स पर आधारित मंच प्रौद्योगिकी को विकसित करने की मांग की। सरल कार्यालय कंप्यूटर (SofComp) इस प्रकार के एकीकरण और कई नई सुविधाओं के एक उच्च डिग्री के साथ एक सिस्टम पर चिप वास्तुकला पर आधारित हैं।
डॉक्टर आर. ए. माशेलकर की अध्यक्षता में तैयार इंधन निधि ने ऑटो उत्सर्जन पर भारतीय मानक तैयार करने और इस क्षेत्र में वैज्ञानिक मानकों की तरफ बढ़ने के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। "भारत द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ" मानक विकसित मानचित्र के हिसाब से चरणों में प्रभाव में आएँगे। ऑटो इंजनों में बदलाव में उत्प्रेरक कन्वर्टरों के उपयोग आदि के अतिरिक्त इंधन की गुणवत्ता एक मुख्य आवश्यकता है। एक एनएमएलटीएलआई समर्थित कार्यक्रम के तहत इंधन की गुणवत्ता बेहतर करने का प्रयास शुरू किया गया है और नया उत्प्रेरक भी विकसित किया गया है। उत्प्रेरक की डीजल को डिसल्फराइज़ करने की दक्षता उल्लेखनीय है जिसे एचडीएस इकाई के पहले चरण में लगभग २५०० पीपीएम सल्फर से ५०० पीपीएम से कम में प्राप्त किया गया है। यह साधारण रिफाइनरी प्रक्रिया की परिस्थितियों में कार्य करता है, अर्थार्थ 340 डिग्री सेल्सियस और 40 बार दबाव। विकसित उत्प्रेरक 30 बार के दबाव पर भी सक्रिय है। यह विकास भारत द्वितीय से चतुर्थ के उत्सर्जन मानकों के अनुसार बेहतर गुणवत्ता वाले डीजल उपलब्ध कराने में बहुत मदददायी होगा। कारखानों की परिस्थितियों में उत्प्रेरक का परीक्षण करने के लिए एक रिफाइनरी की पहचान करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
समुद्री संसाधन से संपन्न देश के एक प्रमुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में सीएसआईआर भी हमारे महासागरों की छानबीन कर रहा है। हर्बल उपचार और दवाइयों के विकास करने हेतु समुद्री वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को उपयोग में लाने के लिए परियोजना महासागर मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषण एवं भाग लेने वाली 10 प्रयोगशालाओं के सहयोग से केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा समायोजित "सागर से दवा" परियोजना आयोजित की जा रही है। सक्रिय अणुओं के अलगाव, उनके लक्षण और विकास एवं दवा अनुसंधान सहित सभी पहलुओं को कार्यक्रम में शामिल किया गया है। कई आशाजनक नमूने पाए गए हैं।
निश्चित रुप से! सीएसआईआर के हर्बल चिकित्सीय कार्यक्रम में हर्बल सामग्रियों को चिकित्सीय के रूप में विकसित करने का प्रयास शामिल है। यह हर्बल सामग्रियां सभी उचित अध्ययन अर्थार्थ मानकीकरण, जैविक गतिविधि सत्यापन, सुरक्षा प्रभावकारिता और नैदानिक अध्ययन करने के पश्चात ही विकसित की जा रही हैं। विकसित उत्पादों को फिर चिकित्सीय के रूप में भारतीय और विदेशी बाजारों में पेश किया जाएगा। यूएसआरसीसी आर एयूएस के साथ सीएसआईआर का सहयोग इस दिशा में एक बड़ी पहल है।
जैव सक्रियों पर सीएसआईआर योजना एक विशाल तंत्र है जो अनुसंधान एवं विकास योजना प्रभाव सीएसआईआर द्वारा समायोजित किया जा रहा है। यह पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली में 20 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं,13 विश्वविद्यालयों और तीन जाने-माने संगठनों से संलग्न है। इस में नए नेतृत्व अणुओं की पहचान के लिए कैंसर टीबी, फाइलेरिया, मलेरिया, अल्सर, पार्किंसन और अल्जाइमर सहित 14 रोग क्षेत्रों के खिलाफ आयुर्वेदिक सूत्रीकरण, पौधों का कवच, रोगाणुओं की जांच शामिल है। विभिन्न समर्पित समूहों के अच्छी तरह से परिभाषित कार्य के साथ सम्मान तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंटेग्रेटिव मेडिसिन(पहले आरआरएल, जम्मू के नाम से प्रचलित) यूनानी दवाओं की जांच के लिए प्रधान प्रयोगशाला है। इसकी गतिविधियां संयंत्र, संग्रह, प्रमाणिकरण और उंगली मुद्रण समन्वय करने में भाग लेना है। यह जैविक गतिविधियों में भाग लेता है वह उन्हें समायोजित करता है जैसे कि भाग लेने वाली संस्थाओं द्वारा तैयार किए गए नमूनों की कैंसर विरोधी गतिविधि (इन विट्रो साइटोटोकसिटी) और इम्मुनोमोड्यूलेट्री और हेपेटोप्रोटेक्टिव(बोथ इन वीवो और इन विट्रो) गतिविधियों के मूल्यांकन की रुपरेखा तैयार करना
दैनिक उपयोग की अनेक ऐसी मदों के बारे में जानकर आप आश्चर्य चकित होंगे जिनके विकास में सीएसआईआर ने सहायता की है । इसका योगदान मानव गतिविधि के लगभग सभी क्षेत्रों में जैसे कृषि, स्वास्थ्य, रक्षा, वायु गति विज्ञान, अनुवंशिक अभियांत्रिकी और भारत के पहले सुपर कंप्यूटर के विकास में भी है । स्वतंत्र भारत में विकसित 14 नए ड्रग्स में से ग्यारह सीएसआईआर से हैं । इसकी संपूर्ण सूची बहुत लंबी हो जाएगी इसलिए यहां केवल नमूने दिए गए हैं । राष्ट्र के लिए अमूल बेबी फूड, नूतन स्टोव, महिलाओं हेतु सहेली, ए नानस्टेराइडल वंस-ए-वीक ओरल गर्भनिरोधक गोली, मलेरिया रोकने हेतु ई-मल (E-Mail), अस्थमा हेतु हर्बल चिकित्सा संबंधी एजमॉन (ASMON), सारस (SARAS), मल्टी-रोल एयरक्राफ्ट, भारत का पहला पेरलेल कम्प्यूटर फ्लोसॉल्वर और सोनालीका तथा स्वराज ट्रैक्टर्स और भारतीय मतदाता के प्रमाण्य की अमिट स्याही सीएसआईआर की ही देन है।
वैज्ञानिक बी या ग्रुप IV(1) का मूल वेतन रुपये 8000-275-13500 है और एक वरिष्ठ वैज्ञानिक जैसे- वैज्ञानिक जी या ग्रुप IV(6) का मूल वेतनमान रुपये 18400-500-22400 होगा ।
एमएस.सी./बी.टेक प्रथम श्रेणी में हो/और आयु 35 वर्ष से अधिक न हो । भारत सरकार के नियमानुसार सभी आरक्षण सभी पात्र श्रेणियों पर लागू होंगे ।
सीएसआईआर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में जूनियर रिसर्च फैलोशिप प्रदान करता है । यदि आप प्रबुद्ध स्नातकोत्तर हैं और विज्ञान में बेहतर करने के इच्छुक हैं, तो ईएमआर डिवीजन, एचआरडी ग्रुप, सीएसआईआर से सम्पर्क कर सकते हैं । अखिल भारतीय प्रेस विज्ञापनों पर नजर रखें जो आवेदन मांगने हेतु वर्ष में दो बार प्रकाशित किए जाते हैं । निर्धारित आवेदन पत्र को भरकर परीक्षा नियंत्रक, परीक्षा एकक, सीएसआईआर कॉम्प्लेक्स बिल्डिंग, इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मेनेजमेंट के सामने, पूसा, नई दिल्ली-110012 को भेजें । अधिक जानकारी के लिए एचआरडीजी में सम्पर्क करें ।